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पवित्र चारोँ वेदोँ अनुसार साधना का परिणाम केवल स्वर्ग-महास्वर्ग प्राप्ति , मुक्ति नही ( Not free , only receipt heven-mahaswarg result of sadhana according to four vegas)



जो मनोकामना सिद्वि के लिए मेरी पूजा तीनोँ वेदोँ मेँ वर्णित साधना शास्त्रानुकूल करते हैँ वे अपने कर्मो के आधार पर महास्वर्ग मेँ आनंद मना कर फिर जन्म-मरन मेँ आ जाता हैँ अर्थात् यज्ञ चाहे शास्त्रानुकूल भी हो उसका एक मात्र लाभ सांसारिक भोग , स्वर्ग और फिर नरक और चौरासी लाख योनियाँ ही हैँ । जब तक पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीँ होते ।

गीता अध्याय 9 के श्लोक 22 मेँ कहा कि जो निष्काम भाव से मेरी शास्त्रानुकूल पूजा करते है उनकी पूजा की साधना की रक्षा मैँ स्वयं करता हुँ , मुक्ति नहीँ ।
मुक्ति हेतु पाँचवा वेद से ज्ञान प्राप्ति करेँ ।

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